राजस्थानी भाषा एवं बोलिया
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Rajasthani language and dialect |
- राजस्थानी
शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग डॉ ग्रियर्सन ने 1982 में अपनी किस पुस्तक में किया। - लिंग्विस्टिक सर्वे ऑफ इंडिया
- प्राचीन काल
में राजस्थान के प्रधान भाषा थी। - मरू भाषा
- मरू भाषा में
लिखित प्रथम ग्रंथ कुवलयमाला के रचनाकार - उधोतन सुरी
- राजस्थानी
साहित्य के दो प्रकार हैं- डिंगल एवं पिंगल
- मारवाड़ी के
साहित्यिक शुरू करते हैं - डिंगल
- चारण शैली
में किस रस की प्रधानता है - वीर रस की
- पिंगल का
वास्तविक अर्थ है - छंद शास्त्र
- सर ग्रियर्सन
ने राजस्थानी बोलियों को कितने भागों में बांटा- पांच भागों में ( पश्चिमी राजस्थानी
उत्तरी पूर्वी राजस्थानी मध्य पूर्व राजस्थानी दक्षिण पूर्वी राजस्थानी
दक्षिणी राजस्थानी)
- डॉक्टर
टेसिटरी ने राजस्थान एवं मालवा की भाषाओं को कितने भागों में विभाजित किया - दो भागों में (पश्चिमी राजस्थानी, पूर्वी राजस्थानी)
- प्रोफेसर
नरोत्तम स्वामी ने राजस्थानी भाषा को कितने भागों में वर्गीकृत किया - 4 भागों में (पश्चिमी राजस्थान, पूर्वी राजस्थानी, उत्तरी राजस्थानी, दक्षिणी राजस्थानी)
- डॉक्टर
मोतीलाल मनेरिया ने राजस्थानी भाषा को कितने भागों में विभाजित किया - पांच भागों में (मारवाड़ी, ढूंढाडी, मालवी, मेवाती, वांगड़ी)
- क्षेत्रफल की
दृष्टि से राजस्थान की सबसे बड़ी बोली है - मारवाड़ी
- राजस्थान में
सर्वाधिक लोगों द्वारा बोले जाने वाली बोली है - ढूंढाडी
- रांगड़ी क्या
है - हाडोती मालवा के राजपूतों की भाषा
- राजस्थानी
भाषा का शब्दकोष के रचयिता पद्मश्री सीताराम लालस मूलनिवासी - नेरवा गांव जोधपुर
- राजस्थानी
भाषा के साहित्य का प्रारंभ माना जाता है - 1150 ई. से
- रचनाकारों की
दृष्टि से राजस्थान साहित्य को कितने भागों में वर्गीकृत किया गया है - पांच भागों में (चारण साहित्य, जैन साहित्य, संत साहित्य, लोक साहित्य तथा ब्राह्मण साहित्य)
- किस काव्य
ग्रंथ में किसी राजा या वीर की कीर्ति , विजय, युद्ध, वीरता आदि का वर्णन हो कहलाता है - रास या रासौ
- चर्चरी क्या
है उत्सवों में लयवह ताल के साथ के साथ गाए जाने वाली रचना
- किसी काव्य
को गाने की तर्ज या लय कहलाता है - ढाल
- चारण साहित्य
में किसी वीरगाथा में प्रयुक्त छंद कहलाता है - पवाड़ा
- हीयाली क्या
है - राजस्थानी भाषा में रचित पहेली
- किसी प्रणय
गाथा का काव्यात्मक वर्णन कहलाता है - वेली
- दवावैत क्या
है - गध एवं पद का मिश्रित साहित्यक
स्वरूप
- शासकों की
गौरवगाथा पूर्ण वंशावली का चित्रण कहलाता है - ख्यात
- नेमिनाथ
बारहमासा के रचनाकार हैं - पल्हण
- हम्मीर रासो
हम्मीर काव्य के रचनाकार है - शारंगधर
- बीसलदेव रासो
के रचयिता है - नरपति नाल्ह
- खुमान रासो
(पिंगल भाषा) के रचनाकार - दलपत विजय
- "विजयपाल रासो" के रचनाकार है - नल्लसिंह भाट
- 'ढोला मारू रा दूहा' के रचयिता है - कवि कलोल
- पृथ्वीराज
रासो (पिंगल भाषा) में कितने छंद वह समयो है - 1 लाख छंद एवं 69 समयो
- राजस्थानी
साहित्य की सर्वश्रेष्ठ वचनिका है - अचल दास री वचनिका (रचियता गाड़ण शिवदास)
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